खुद अपनी निगरानी कर
मत सांसे बेमानी कर
दे हर दिन उन्वान नया
या फिर ख़त्म कहानी कर
जी ले ठाठ फकीरी के
यु खुद को लासानी कर
रच कोई सन्सार नया
हर तहरीर पुराणी कर
खुदगर्जो की खातिर अब
मत कोई क़ुरबानी कर
तन से मन का भेद मिटा
रिश्ता चन्दन पानी कर
"आचार्य सारथी रूपी "
Thursday, April 29, 2010
Sunday, April 25, 2010
प्रदुषण से हम सब परेशां है और हमारी संस्कृति समाप्त होती जा रही है जैसा की कहा गया है की संस्कृति आदान प्रदान से बढती है जबकि कुपमंदुक की तरह जीनेवाले समाज की संस्कृति सीमित और संकीर्ण होती है अतः आदान प्रदान से ही संस्कृति का महत्व बढ़ता है हम स्वर्ग की बात क्या करे ? हम व्रिक्षारोपन करके यहाँ ही स्वर्ग क्यूँ न बनाये ? महान सम्राट अशोक ने कहा---' रास्ते पर मैंने वट-वृक्ष रोप दिए हैं जिससे मानव तथा पशुओं को छाया मिल सकती है आज प्रभुत्व संपन्न भारत ने इस राज महर्षि के राजचिन्ह ले लिए हैं २३ सौ वर्ष पूर्व उन्होंने देश में ऐसी एकता स्थापित की थी जो सराहनीय है परन्तु क्या आज हम सिर्फ उनके राजचिन्ह लेना ही अपना फर्ज मानते हैं अगर आप इस दिशा में लाखो करोरो के समक्ष अपनी राय रखेंगे तो हम इस सन्देश को सुनकर निश्चय ही ऐसे प्रबंध करेंगे जिससे भारत के सभी प्रजाजन कह सके की हमने जो रास्ते पर वृक्ष लगाये थे, वे मानवों और पशुओं को छाया देते है राष्ट्रिय जाग्रति तभी ताकत पति है, तभी कारगर होती है, तब उसके पीछे संस्कृति की जाग्रति हो और यह तो आप जानते ही हैं की किसी भी संस्कृति की जान उसके साहित्य में, यानि उसकी भाषा में है इसी बात को हम यों कह सकते हैं की बिना संस्कृति के राष्ट्र नहीं और बिना भाषा के संस्कृति नहीं,
जय हिंद , जय भारत
अवधेश झा
जय हिंद , जय भारत
अवधेश झा
Friday, April 16, 2010
रात हुआ है तो दिन भी होगी, हो मत उदास कभी तो बात भी होगी, इतने प्यार से दोस्ती की है खुदा की कसम जिंदगी रही तो मुलाकात भी होगी। कोशिश कीजिए हमें याद करने की लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे तमन्ना कीजिए हमें मिलने की बहाने तो अपने आप ही मिल जायेंगे । महक दोस्ती की इश्क से कम नहीं होती इश्क से ज़िन्दगी ख़तम नहीं होती अगर साथ हो ज़िन्दगी में अच्छे दोस्त का तो ज़िन्दगी जन्नत से कम नहीं होती सितारों के बीच से चुराया है आपको दिल से अपना दोस्त बनाया है आपको इस दिल का ख्याल रखना क्योंकि इस दिल के कोने में बसाया है।आपको अपनी ज़िन्दगी में मुझे शरिख समझना कोई गम आये तो करीब समझना दे, देंगे मुस्कराहट आंसुओं के बदले मगर हजारों दोस्तो में अज़ीज़ समझना ॥ हर दुआ काबुल नहीं होती , हर आरजू पूरी नहीं होती , जिन्हें आप जैसे दोस्त का साथ मिले , उनके लिए धड़कने भी जरुरी नहीं होती दिन हुआ है तो रात भी होगी, हो मत उदास कभी तो बात भी होगी, इतने प्यार से दोस्ती की है खुदा की कसम जिंदगी रही तो मुलाकात भी होगी। कोशिश कीजिए हमें याद करने की लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे तमन्ना कीजिए हमें मिलने की बहाने तो अपने आप ही मिल जायेंगे> -----------------------------------------
Saturday, April 10, 2010
सफ़र बस यंही तक, चलो कुछ और करते हैं..यंहा सब हंस रहे हैं, हम कुछ और करते हैं...जंहा गमगिनियाँ हों, जंहा ना कोई हँस रहा हो..जंहा तनहाइयाँ हों, जंहा खामोशियाँ हों...जंहा बस आशिकी हो, जंहा बस दोस्ती हो...जंहा बेचैनियाँ हों, जंहा बस.................ये पानी याद करके, ये रिश्तों को समझ केकभी खामोश रहकर, कभी फिर मुस्कुरा के...वो बातें याद करके ये बातें भूल कर के...ये पानी याद करके, ये रिश्तों को समझ के...चलो एक घर बनाये, जंहा कुछ और भी होजंहा जब कोई रोये, उसे मालूम ना हो,जंहा जब कोई आये, तो ग़म को भूल जाये...जंहा खामोशियाँ हो, जंहा थोड़ी ख़ुशी हो....जंहा बस ज़िन्दगी हो....जंहा बस ज़िन्दगी हो..
Subscribe to:
Posts (Atom)