तुम लाख बार सोचो,लेकिन सोच-सोचकर काम नहीं होता
काम करने से पुरे होते है अब सोचो की मै कितनी देर ध्यान लगाऊ की भागवान मिले अरे,भागवान मिलने का हिशाब तुम भागवान पर छोर दो,तुन अपना काम करो ------ आनान्दमुर्ती गुरु माँ
Saturday, May 1, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment